अय! तौबा करो साहब,
अय! जाने भी दो साहब I
क्यूँ मुझको बनाते हो?
क्यूँ फितना जगाते हो ?
वो मुझसे खफा है कुछ,
माइल पै जफ़ा है कुछ,
अग़यार से मिलते है,
और प्यार से मिलते हैं I
आखिर ये वजह क्या है ?
यह कहर हुआ क्या है?
पहले तो न थे ऐसे,
ये तौर हुए कैसे I
वो और कहें ऐसा,
वो और करें ऐसा I
बहलाये गए होंगे,
बहकाए गए होंगे I
अय! तौबा करो साहब I
अय! जाने भी दो साहब I
क्यों कर ये मान लूँ मैं,
और दिल में ठान लूँ मैं ?
वो आज भूल बैठे,
वो ज़िंदगी के लम्हे I
पुर कैफ था ज़माना,
मौज़ों में इक तराना I
आलम शबाब का था,
जिसका जवाब न था I
मौजों में थी रवानी,
उठती हुई जवानी I
सिक्के जमा रही थी,
फ़ितने जग रही थी I
वो चाल बहकी बहकी,
वो ज़ुल्फ़ महकी महकी I
जिस जां नज़र जमा दे,
इक आग सी लगा दे I
माथे पे सुर्ख बिंदी,
हाथों में लाल मेहंदी I
वो शोला जगाती थी,
वो आग लगाती थी I
गुफ़्तार में तरन्नुम,
हल्का सा इक तब्बसुम I
तूफान इक उठा दे,
सौ बिजलियाँ गिरा दे I
आँखों में सुर्ख डोरे,
अल्लाह रे बचो रे !
कुछ लाल कुछ गुलाबी,
काफिर अदा शराबी !
डूबी हुई निगाहें,
ले डूबे जिसको चाहें I
बिगड़े नसीब संवरें,
हाय नशीली नज़रें I
जिस सिम्त घूम जाए,
आबिद भी झूम जाए I
ईमान लड़खड़ाये,
औसान डगमगाए I
जायज़ हो मय-फरोशी,
लाज़िम हो वादा-नोशी I
रुक जाएँ चाँद तारे,
थम जायें तेज धारे I
झूमे नशे में आलम,
मिट जायें फ़िक्र और गम I
रिन्द उठ के ले बालाएं,
हाथों में जाम उठायें I
महशर-सा इक बपा हो,
और शोर ये मचा हो I
ला और पिला साकी,
है सांस अभी बाकी I
जाहिद भी जाम लेके,
अल्लाह का नाम लेके I
दामन भिगो के मय में,
कहता फिरे नशे में I
हाँ! बंदगी यही है,
हाँ! ज़िंदगी यही है I
अय तौबादार पी लो,
अय दीन-दार पी लो I
मरने से पहले जी लो!
मुत्तलिक न थे वो कमसिन,
उन्हीं दिनों में इक दिन I
क्या जाने काम क्या था,
पर, वक्त शाम का था I
खिड़की से सर झुकाकर,
सब की नज़र बचाकर I
छिप कर किया इशारा,
आहिस्ता से पुकारा I
मैं रुक गया ठिठक कर,
वो रह गए झिझक कर I
हैरानगी थी मुझ पर,
दीवानगी थी उन पर I
यहां खलबली मची कुछ,
वहां बेकली बढ़ी कुछ I
गो जानते नहीं थे,
पहचानते नहीं थे I
मेरी नज़र थी उन पर,
उनकी निगाह मुझ पर I
कुछ ऐसे खो गए थे,
तस्वीर हो गए थे !
अय ! तौबा करो साहब,
अय ! जाने भी दो साहब I
अय! जाने भी दो साहब I
क्यूँ मुझको बनाते हो?
क्यूँ फितना जगाते हो ?
वो मुझसे खफा है कुछ,
माइल पै जफ़ा है कुछ,
अग़यार से मिलते है,
और प्यार से मिलते हैं I
आखिर ये वजह क्या है ?
यह कहर हुआ क्या है?
पहले तो न थे ऐसे,
ये तौर हुए कैसे I
वो और कहें ऐसा,
वो और करें ऐसा I
बहलाये गए होंगे,
बहकाए गए होंगे I
अय! तौबा करो साहब I
अय! जाने भी दो साहब I
क्यों कर ये मान लूँ मैं,
और दिल में ठान लूँ मैं ?
वो आज भूल बैठे,
वो ज़िंदगी के लम्हे I
पुर कैफ था ज़माना,
मौज़ों में इक तराना I
आलम शबाब का था,
जिसका जवाब न था I
मौजों में थी रवानी,
उठती हुई जवानी I
सिक्के जमा रही थी,
फ़ितने जग रही थी I
वो चाल बहकी बहकी,
वो ज़ुल्फ़ महकी महकी I
जिस जां नज़र जमा दे,
इक आग सी लगा दे I
माथे पे सुर्ख बिंदी,
हाथों में लाल मेहंदी I
वो शोला जगाती थी,
वो आग लगाती थी I
गुफ़्तार में तरन्नुम,
हल्का सा इक तब्बसुम I
तूफान इक उठा दे,
सौ बिजलियाँ गिरा दे I
आँखों में सुर्ख डोरे,
अल्लाह रे बचो रे !
कुछ लाल कुछ गुलाबी,
काफिर अदा शराबी !
डूबी हुई निगाहें,
ले डूबे जिसको चाहें I
बिगड़े नसीब संवरें,
हाय नशीली नज़रें I
जिस सिम्त घूम जाए,
आबिद भी झूम जाए I
ईमान लड़खड़ाये,
औसान डगमगाए I
जायज़ हो मय-फरोशी,
लाज़िम हो वादा-नोशी I
रुक जाएँ चाँद तारे,
थम जायें तेज धारे I
झूमे नशे में आलम,
मिट जायें फ़िक्र और गम I
रिन्द उठ के ले बालाएं,
हाथों में जाम उठायें I
महशर-सा इक बपा हो,
और शोर ये मचा हो I
ला और पिला साकी,
है सांस अभी बाकी I
जाहिद भी जाम लेके,
अल्लाह का नाम लेके I
दामन भिगो के मय में,
कहता फिरे नशे में I
हाँ! बंदगी यही है,
हाँ! ज़िंदगी यही है I
अय तौबादार पी लो,
अय दीन-दार पी लो I
मरने से पहले जी लो!
मुत्तलिक न थे वो कमसिन,
उन्हीं दिनों में इक दिन I
क्या जाने काम क्या था,
पर, वक्त शाम का था I
खिड़की से सर झुकाकर,
सब की नज़र बचाकर I
छिप कर किया इशारा,
आहिस्ता से पुकारा I
मैं रुक गया ठिठक कर,
वो रह गए झिझक कर I
हैरानगी थी मुझ पर,
दीवानगी थी उन पर I
यहां खलबली मची कुछ,
वहां बेकली बढ़ी कुछ I
गो जानते नहीं थे,
पहचानते नहीं थे I
मेरी नज़र थी उन पर,
उनकी निगाह मुझ पर I
कुछ ऐसे खो गए थे,
तस्वीर हो गए थे !
अय ! तौबा करो साहब,
अय ! जाने भी दो साहब I
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