दो वरक थे मेरी कहानी के, की वो दिन थे मेरी जवानी के I
मुझपे जादू किसी ने खूब किया, मुझको अपना बना के लूट लिया I
दिल में मेरे समा गया कोई, मेरी नज़रों पे छा गया कोई I
पास अपने मुझे बिठा कर के, बात करता वो मुस्करा कर के I
एक दिन यूं कहा कि आ पी ले, आज मरने से पहले तू जी ले I
मेरी आँखों में डाल दी आँखें, इसपे वो हाय चांदनी रातें I
क्या नशा था मैं खुद को भूल गया, और बाहों में उसकी झूल गया I
फिर न जाने उसे ये क्या सूझा, जाने क्या सोचा और क्या बूझा I
उठके चुपके से चल दिया वो कहीं, मैं समझता रहा कि है वो यहीं I
होश आया तो देखता हूँ क्या, रात भीगी है चाँद है फीका I
छीन कर मुझसे ज़िंदगी मेरी, साथ वो ले गया हँसी मेरी I
बेबसी में तड़प के सिर धुनता, मैं उठा और तलाश को निकला I
खिलती कलियों के मुस्कुराने से, नन्ही चिड़ियों के चहचहाने से I
मैंने जाना वो छुप गया है यहीं, रो के शबनम ने यूँ कहा कि नहीं I
बादलों से हवाओं से पुछा, मैंने रंगी फ़िज़ाओं से पुछा I
कोहसरोंमें आबशारों में, बहती दरिया की तेज धारों में I
कहकशां में व चाँद तारों में, मैंने ढूंढा उसे बहारों में I
थक के आखिर निराश हो बैठा, उस को पाने की आस खो बैठा I
नींद आँखों से उड़ गई मेरी, ज़िंदगी तल्ख़ हो गई मेरी I
हो के बेज़ार बन के आवारा, यों फ़िर हाय इश्क का मारा I
लंबे दरिया कभी चला जाता, उसकी मौजों से दिल को बहलाता I
एक जोगी का था वहां डेरा, दूर से हाल देखता मेरा I
एक दिन उठ के मेरे पास आया, दिल में उस के भी दर्द भर आया I
मुझसे कहने लगा कि अय हमदम, क्यूँ परेशां है और क्या है गम I
देखता हूँ उदास रहता है, बात क्या है जो दिल में सहता है I
क्या था और क्या हो गया तू, किन ख्यालों में खो गया तू I
न छुपा हाल मुझसे अब दिल का, कह दे हो जाये जी तेरा हल्का I
सुन के बातें ये उसकी प्यार भरी, बेकली यूँ दिल में होने लगी I
नक्श सोये हुए उभर आये, और जज़्बात कुछ उमड़ आये I
उसको अपना समझ बढ़ी हिम्मत, और होठों को हो चली हरकत I
बढ़कर किसी ने मुझको रोक लिया, ज़ोर से दिल मेरा दबोच लिया I
कह सकूँ कुछ, रहा न काबिल मैं, बात दिल की वो रह गई दिल में I
दर्द वो था कि में दबा न सका, एक तूफान था दबा न सका I
यह तो माना ज़ुबान न कह पाई, पर न मानी ये आँख भर आई I
दिल का प्याला ज़रा झलक ही गया, आँख से आंसू इक ढलक ही गया I
अश्क क्या था वो एक मोती था, जिसने देखा वो एक जोगी था I
जोहरी डाल कर के एक नज़र, जिस तरह से परखता है गौहर I
बस यों ही हाल दिल वो भांप गया, दर्द से इक बार काँप गया I
हाथ कानों पे रखके यूँ बोला, राहे उल्फत की मुश्किलें "तौबा" I
यूँ तो आसां थी इश्क की बातें, गर न होती ये हिज़्र की रातें I
रात फुरकत की कैसे कटती है, जानते हैं जिनपे घटती है I
तू मगर तोडना न मन की आस, तेरा प्रीतम सदा है तेरे पास I
है खबर क्यों ये दिल धड़कता है, इसमें वो ही तो छुप के बैठा है I
गौर से सुन कभी तू दिल का साज़, साफ़ आती है यार की आवाज़ I
दिल में पैवस्त हो गया है वो, तेरी आँखों में खो गया है वो I
बंद कर आँख और लब खामोश, सांस को रोक हो हमतन गोश I
एक हल्की सी गूँज आती है, इस तरफ यार है, बताती है I
बस उसी ओर तू निहार उसे, होक दीवाना तू पुकार उसे I
इस कदर रो की शक जिगर हो जाये, यूँ तड़प की उसे खबर हो जाये I
इस तरह जब उसे बुलाएगा, आएगा आएगा आएगा I
ख़त्म फिर दौरे जुस्तजू होगा, एक वो और एक तू होगा I
फिर जैसे बने बना लेना, बात बिगड़ी हुई बना लेना I
(आदरणीय दरवेश साहब ने 'दुसरे वरक' की भी रचना कर ली थी पर अफ़सोस कि कलमबद्ध करने से पहले ही उनका देहावसान हो गया I)
मुझपे जादू किसी ने खूब किया, मुझको अपना बना के लूट लिया I
दिल में मेरे समा गया कोई, मेरी नज़रों पे छा गया कोई I
पास अपने मुझे बिठा कर के, बात करता वो मुस्करा कर के I
एक दिन यूं कहा कि आ पी ले, आज मरने से पहले तू जी ले I
मेरी आँखों में डाल दी आँखें, इसपे वो हाय चांदनी रातें I
क्या नशा था मैं खुद को भूल गया, और बाहों में उसकी झूल गया I
फिर न जाने उसे ये क्या सूझा, जाने क्या सोचा और क्या बूझा I
उठके चुपके से चल दिया वो कहीं, मैं समझता रहा कि है वो यहीं I
होश आया तो देखता हूँ क्या, रात भीगी है चाँद है फीका I
छीन कर मुझसे ज़िंदगी मेरी, साथ वो ले गया हँसी मेरी I
बेबसी में तड़प के सिर धुनता, मैं उठा और तलाश को निकला I
खिलती कलियों के मुस्कुराने से, नन्ही चिड़ियों के चहचहाने से I
मैंने जाना वो छुप गया है यहीं, रो के शबनम ने यूँ कहा कि नहीं I
बादलों से हवाओं से पुछा, मैंने रंगी फ़िज़ाओं से पुछा I
कोहसरोंमें आबशारों में, बहती दरिया की तेज धारों में I
कहकशां में व चाँद तारों में, मैंने ढूंढा उसे बहारों में I
थक के आखिर निराश हो बैठा, उस को पाने की आस खो बैठा I
नींद आँखों से उड़ गई मेरी, ज़िंदगी तल्ख़ हो गई मेरी I
हो के बेज़ार बन के आवारा, यों फ़िर हाय इश्क का मारा I
लंबे दरिया कभी चला जाता, उसकी मौजों से दिल को बहलाता I
एक जोगी का था वहां डेरा, दूर से हाल देखता मेरा I
एक दिन उठ के मेरे पास आया, दिल में उस के भी दर्द भर आया I
मुझसे कहने लगा कि अय हमदम, क्यूँ परेशां है और क्या है गम I
देखता हूँ उदास रहता है, बात क्या है जो दिल में सहता है I
क्या था और क्या हो गया तू, किन ख्यालों में खो गया तू I
न छुपा हाल मुझसे अब दिल का, कह दे हो जाये जी तेरा हल्का I
सुन के बातें ये उसकी प्यार भरी, बेकली यूँ दिल में होने लगी I
नक्श सोये हुए उभर आये, और जज़्बात कुछ उमड़ आये I
उसको अपना समझ बढ़ी हिम्मत, और होठों को हो चली हरकत I
बढ़कर किसी ने मुझको रोक लिया, ज़ोर से दिल मेरा दबोच लिया I
कह सकूँ कुछ, रहा न काबिल मैं, बात दिल की वो रह गई दिल में I
दर्द वो था कि में दबा न सका, एक तूफान था दबा न सका I
यह तो माना ज़ुबान न कह पाई, पर न मानी ये आँख भर आई I
दिल का प्याला ज़रा झलक ही गया, आँख से आंसू इक ढलक ही गया I
अश्क क्या था वो एक मोती था, जिसने देखा वो एक जोगी था I
जोहरी डाल कर के एक नज़र, जिस तरह से परखता है गौहर I
बस यों ही हाल दिल वो भांप गया, दर्द से इक बार काँप गया I
हाथ कानों पे रखके यूँ बोला, राहे उल्फत की मुश्किलें "तौबा" I
यूँ तो आसां थी इश्क की बातें, गर न होती ये हिज़्र की रातें I
रात फुरकत की कैसे कटती है, जानते हैं जिनपे घटती है I
तू मगर तोडना न मन की आस, तेरा प्रीतम सदा है तेरे पास I
है खबर क्यों ये दिल धड़कता है, इसमें वो ही तो छुप के बैठा है I
गौर से सुन कभी तू दिल का साज़, साफ़ आती है यार की आवाज़ I
दिल में पैवस्त हो गया है वो, तेरी आँखों में खो गया है वो I
बंद कर आँख और लब खामोश, सांस को रोक हो हमतन गोश I
एक हल्की सी गूँज आती है, इस तरफ यार है, बताती है I
बस उसी ओर तू निहार उसे, होक दीवाना तू पुकार उसे I
इस कदर रो की शक जिगर हो जाये, यूँ तड़प की उसे खबर हो जाये I
इस तरह जब उसे बुलाएगा, आएगा आएगा आएगा I
ख़त्म फिर दौरे जुस्तजू होगा, एक वो और एक तू होगा I
फिर जैसे बने बना लेना, बात बिगड़ी हुई बना लेना I
(आदरणीय दरवेश साहब ने 'दुसरे वरक' की भी रचना कर ली थी पर अफ़सोस कि कलमबद्ध करने से पहले ही उनका देहावसान हो गया I)
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