Monday, 10 November 2014

आज आई मेरी बारी अरे तौबा तौबा

आज आई मेरी बारी अरे तौबा तौबा!
ठान ली दर्द से यारी अरे तौबा तौबा !
वो हर इक गाम पे शाहों ने किए झुक के सलाम,
हम फकीरों की सवारी, अरे तौबा तौबा !
मैं तो समझा कि ये है बात फकत मेरी बात,
बात निकली वो तुम्हारी, अरे तौबा तौबा!
बहकी बहकी हुई वो होश की बातें लब पर,
छा गई कैसी खुमारी, अरे तौबा तौबा!
हाथ मैं हाथ लिया, साथ छुड़ाया सबका,
कैसी तकदीर संवारी, अरे तौबा तौबा!
दौलते-दिल न लूट ले धोखे से रकीब,
कह दिया है ये हमारी, अरे तौबा तौबा!
रूबरू उनसे कहें हाल भला होश कहाँ,
हो गया कैफ वो तारी, अरे तौबा तौबा!
देखना मुड़ के मुझे, हाय वो कातिल नज़रें,
हो गई जान से प्यारी, अरे तौबा तौबा!
नींद बनके वो चले आए करीब और करीब,
वो भी इक रात गुज़ारी, अरे तौबा तौबा!
कर के अपना मुझे, ललकार के दुनिया से कहा,
कौन 'दरवेश' .... भिखारी अरे तौबा तौबा!

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