खूने जिगर पिया तो कभी अश्क पी लिए,
उनको ख़ुशी यही थी, हम ऐसे ही जी लिए I
अय मर्ग, कौन उनका मसीहा तेरे सिवा,
बैठे है तेरी राह में जो ज़िंदगी लिए I
नफरत की आँधियाँ तो बुझाती रही उन्हें,
अब भी हैं कुछ चराग, मगर, रौशनी लिए I
पूजा गया उन्हें कभी ठुकरा दिया गया,
तामीर इन बुतों की हुई क्या इसलिए ?
वर्के जमाल कौंद गई, तूर जल गया,
जब उठ गई किसी की नज़र तिश्नगी लिए I
कहता है हर कोई कि ये दीवाना कौन है ?
मिलता हूँ जब किसी से लबों पे हंसी लिए I
जाँ-बाज़ महदो-माह से आगे है गामज़न,
देखो किये हम, आरजू परवाज़ की लिए I
'दरवेश' कोई देखे ये मजबूरिये वफ़ा,
बात आई थी जुबां पे, मगर, होठ सी लिए I
उनको ख़ुशी यही थी, हम ऐसे ही जी लिए I
अय मर्ग, कौन उनका मसीहा तेरे सिवा,
बैठे है तेरी राह में जो ज़िंदगी लिए I
नफरत की आँधियाँ तो बुझाती रही उन्हें,
अब भी हैं कुछ चराग, मगर, रौशनी लिए I
पूजा गया उन्हें कभी ठुकरा दिया गया,
तामीर इन बुतों की हुई क्या इसलिए ?
वर्के जमाल कौंद गई, तूर जल गया,
जब उठ गई किसी की नज़र तिश्नगी लिए I
कहता है हर कोई कि ये दीवाना कौन है ?
मिलता हूँ जब किसी से लबों पे हंसी लिए I
जाँ-बाज़ महदो-माह से आगे है गामज़न,
देखो किये हम, आरजू परवाज़ की लिए I
'दरवेश' कोई देखे ये मजबूरिये वफ़ा,
बात आई थी जुबां पे, मगर, होठ सी लिए I
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