किसको सुनायें अपनी कहानी,
आग से खेली शोख जवानी I
ज़ाहिर था अंज़ामें-मुहब्बत,
दिल ने, लेकिन एक न मानी I
दिल को अक्सर तड़पाती है,
रात चांदनी, शाम सुहानी I
दीवाना कहती है दुनिया,
क्या समझे हमको दीवाना !
रहने दो ये दाग जिगर के,
अहदे-कुहन की एक निशानी I
सागर टूटा कब और क्यों कर,
छेड़ न साकी बात पुरानी I
दुनिया को दरवेश बता दो,
इश्क है सच्चा, दुनिया फानी I
आग से खेली शोख जवानी I
ज़ाहिर था अंज़ामें-मुहब्बत,
दिल ने, लेकिन एक न मानी I
दिल को अक्सर तड़पाती है,
रात चांदनी, शाम सुहानी I
दीवाना कहती है दुनिया,
क्या समझे हमको दीवाना !
रहने दो ये दाग जिगर के,
अहदे-कुहन की एक निशानी I
सागर टूटा कब और क्यों कर,
छेड़ न साकी बात पुरानी I
दुनिया को दरवेश बता दो,
इश्क है सच्चा, दुनिया फानी I
No comments:
Post a Comment