Tuesday, 4 November 2014

बिदा हो रही बहन आज .....

एक मित्र की बहन के विदाई समारोह के लिए विशष रूप से इस कविता को लिखा था -

बिदा हो रही बहन आज, भाई के भर आये नैना I

बात बात पर झगड़ा करना, करके कोई बहाना I
ना मानी जो बात ज़रा सी, रूठ इसी पर जाना I
जितना कोई मनाए जाकर, उतना और झल्लाना I
माँ देखो भैया तंग करता, जोर से ये चिल्लाना I
कौन सकेगा भूल ये तेरे, झूठे आंसू बहना I
भाई के भर आये नैना .....

माँ को क्रोध कभी जो आया, नखरा हमने भी दिखलाया I
रूठ के बाहर हम जा बैठे, भीतर भूखे ऊपर ऐंठे I
माँ को तरस जरा ना आया, खाना हमने भी न खाया I
छिपा के दो रोटी झोली में, कहती ये मीठी बोली में,
भैया चुपके से अब खा लो, माँ से कुछ ना कहना I
भाई के भर आये नैना .....

अब तक जिस आँगन में खेली, आज हुआ वो सूना I
कोयल, गैया भी उदास है, लल्ली को दुःख दूना I
बाबू बहु श्याम सुन्दर, सूरज स्वरुप सीता भी I
सुधा सुरेन्द्र सुधीर सुरेश, सब पर छाई उदासी I
चिंता हम सबकी मत करना, सदा सुखी तुम रहना I
भाई के भर आये नैना .....

सावन ऋतू आई मतवाली, झूला पड़ा नीम की डाली I
झूल झूल के गाती सखियाँ, भैया अब बँधवालो राखी I
पर भैया की आई चिट्ठी, अब की बार मिली न छुट्टी I
ठंडी आह भरी धीरे से, मन ही मन में सहना I
भाई के भर आये नैना .....

आज बिछुड़ने से पहले, दो शब्द हमारे सुनलो I
भाई का उपहार जान कर, हिये अंतर में धार लो I
सास ससुर देवर जेठानी, सबकी सेवा करना I
जब तक रहे प्रान तन भीतर, पिया संग ना तजना I
नीची आँख मृदु अस बोलें, यही तुम्हारा गहना I
भाई के भर आये नैना .....

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