Monday, 10 November 2014

उनके सपने न खयालों में सजाए होते

उनके सपने न खयालों में सजाए होते,
हम न दुनिया की निगाहों में पराए होते I

क्या खबर थी कि उन्हें है अभी परदा मंज़ूर,
यूँ न अश्कों से दिये हम ने जलाए होते I

दिल का क्या है ये किसी तौर बहल ही जाता,
काश वो मेरे तसव्वुर में न आए होते I

भूल तो जाऊँ, मगर अब ये बहुत मुश्किल है,
इस कदर आप मेरे दिल पे न छाए होते I

बुझ तो जायेंगे ये शोले मेरे अरमानों के,
बात रह जाती अगर तुमने बुझाए होते I

आज शिकवा है तुम्हें, कल भी तो शिकवा रहता,
दाग सीने के अगर तुम से छिपाए होते I

ये तो अच्छा हुआ वादे न निभाए तुमने,
क्या रकीबों पे गुज़रती जो निभाए होते I

तुमने 'दरवेश' को जीने की कसम तो दे दी,
काश जीने के बहाने भी बनाए होते I 

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