ढाए जा ज़ुल्मों सितम, अय आस्मां कुछ और अभी.
है अभी कुछ मेहरबां ना-मेहरबाँ कुछ और अभी I
आपने नक़्शे-वफ़ा यूँ तो मिटा डाला, हज़ूर,
हैं मगर आइना-ए-दिल पर निशां कुछ और अभी I
ये न समझो थी फकत मेरे नशेमन पर नज़र,
झांकती है ज़ेरे चिलमन बिजलियाँ कुछ और अभी I
थे हमीं इक बेज़ुबां जो आह भर कर रह गए,
आह सीने मैं लिए हैं बेजुबां कुछ और अभी I
मुस्कुराते हो सितारों क्यों मेरी तकदीर पर,
ये न भूलो तुमसे आगे हैं जहाँ कुछ और अभी I
चूमने को पाँव तेरे अय रकीबे-बुल-हवस,
ढल रही है सीमों-जर में बेड़ियां कुछ और अभी I
आपने अब तक सुनी जो मेरे अश्कों ने कही,
बिन कही और बिन सुनी है दास्ताँ कुछ और अभी I
जब उठा दिल से धुआं वो कह उठे, बस अब नहीं,
हम सदा देते रहे अय जाने-जां कुछ और अभी I
मुस्कुरा कर यूँ कहा 'दरवेश' खस्ता-हाल पर,
बारे-गम कुछ और जियादा इम्तिहान कुछ और अभी I
है अभी कुछ मेहरबां ना-मेहरबाँ कुछ और अभी I
आपने नक़्शे-वफ़ा यूँ तो मिटा डाला, हज़ूर,
हैं मगर आइना-ए-दिल पर निशां कुछ और अभी I
ये न समझो थी फकत मेरे नशेमन पर नज़र,
झांकती है ज़ेरे चिलमन बिजलियाँ कुछ और अभी I
थे हमीं इक बेज़ुबां जो आह भर कर रह गए,
आह सीने मैं लिए हैं बेजुबां कुछ और अभी I
मुस्कुराते हो सितारों क्यों मेरी तकदीर पर,
ये न भूलो तुमसे आगे हैं जहाँ कुछ और अभी I
चूमने को पाँव तेरे अय रकीबे-बुल-हवस,
ढल रही है सीमों-जर में बेड़ियां कुछ और अभी I
आपने अब तक सुनी जो मेरे अश्कों ने कही,
बिन कही और बिन सुनी है दास्ताँ कुछ और अभी I
जब उठा दिल से धुआं वो कह उठे, बस अब नहीं,
हम सदा देते रहे अय जाने-जां कुछ और अभी I
मुस्कुरा कर यूँ कहा 'दरवेश' खस्ता-हाल पर,
बारे-गम कुछ और जियादा इम्तिहान कुछ और अभी I
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