Sunday, 2 November 2014

पन्नी गली से हुआ तुलु, सच्चे खुद का आफ़ताब

पन्नी गली से हुआ तुलु, सच्चे खुद का आफ़ताब I
जिसकी जिया और नूर से, टूट गया जहाँ का ख्वाब I

पीर बोरियां नशी, आफरी सद आफरी I
पीरी फकीरी के क्लब में, शाने अमीरी अहदे शबाब I

ज़िक्र क्या है फ़िक्र क्या, तूने हमें सीखा दिया I
हक़ का तबल बजा दिया, रब का सुना दिया रबाब I

तेरा जलाल नूरजां, तेरा जमाल बद्रसां I
साथ साथ है अयां, आफ़ताब माहताब I

ढूंढा तुझे बहुत मगर, पा न सका कोई बशर I
हम पर हुई तेरी मेहर, आके मिला तू बे-हिजाब I

देखा जो बेडा डूबता, बन्दों पे प्यार हो गया I
तेरा करम है बे-पनहा, रहमत तेरी है बे-हिसाब I

शेरो-सुखन की खूबियाँ, तेरी जुबां से हैं अयां I
अमृत की धार है रवां, तर्जे बयां है लाजवाब I

जिसका खुमार एक बार, चढ़के न फिर उत्तर सके I
एक निगाहे लुत्फ़ से, तूने पिलाई वो शराब I

काल की हमसे दुश्मनी, लिखता रहा गलत सही I
कलम अफ्रु की फेर दी, फाड़ के फेंक दी किताब I

साहब के रूप में तो वाह, तूने कमल कर दिया I
क़दमों में शाह झुक गया, 'सर' से किया तुझे ख़िताब I

(ये रचना दरवेश साहब ने उनके अराध्या - राधास्वामी मत के गुरु - साहब जी महाराज (जिनका जन्म आगरा की पन्नी गली में हुआ था) के सन्दर्भ में - कुछ पुरानी प्रचलित पंक्तियों को आगे बढ़ाते हुए लिखी थी )

3 comments:

  1. Mr.kalam
    Thank you so much
    I was searching for this lyrics for so many months
    Now I got it

    Can you also give me the lyrics for

    "Badhayi ho kawali lyrics"

    Please if you can
    RADHASOAMI

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  2. What is the authority for its genuineness. It is wrong to say that Sir Sahab ji Maharaj was born in Panni galilee, I think we should first find the genuineness. WHRS

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