मैं सोने की सीढ़ी बनाये दूंगो, मोरे सजनवा आएं तो I
अंसुवन जल से धोये धोये, मैं नैनं पालक बिछाये दूंगो ....
मोरे सजनवा आएं तो .....
कोई कहते मोहे प्रीत ना उनसे, नित ही सब अवगुण मोरे गुनते I
क्या कुछ धरा हिये में मेरे, छाती चीर दिखाए दूंगो ....
मोरे सजनवा आएं तो .....
कहीं वो इस कारन नहीं आएं, सब ये बात जान नहीं जायें I
हिये अंतर में बिठलाईके, मैं नैनन ओट छिपाए लूंगो ....
मोरे सजनवा आएं तो .....
ये सच है मैं कहा ना मानी, कबहू मौज उन ना पहचानी I
कर कर बिनती गिर गिर चरनन, मैं उनको आप मनाये लूंगो ....
मोरे सजनवा आएं तो .....
ये भी सच मै करी न सेवा, कास उन भाऊँ, पाऊँ कास मेवा I
तन मन धन सब अरपन करके, मैं उन को आप फिझाये लूंगो ....
मोरे सजनवा आएं तो .....
हठ मैं करून कबहुँ ना उनसे, पाये पिया मैंने बड़े जतन से I
जो आज्ञा वो जैसी कहवें, मैं चरनन सीस नवाए लूंगो ....
मोरे सजनवा आएं तो .....
मैं तो सदा ही संग संग बहती, इत उत भरमत फिरती डोलती I
एक बार वो चरन पधारें, मैं चरनन सूरत लगाये लूंगो ....
मोरे सजनवा आएं तो .....
अंसुवन जल से धोये धोये, मैं नैनं पालक बिछाये दूंगो ....
मोरे सजनवा आएं तो .....
कोई कहते मोहे प्रीत ना उनसे, नित ही सब अवगुण मोरे गुनते I
क्या कुछ धरा हिये में मेरे, छाती चीर दिखाए दूंगो ....
मोरे सजनवा आएं तो .....
कहीं वो इस कारन नहीं आएं, सब ये बात जान नहीं जायें I
हिये अंतर में बिठलाईके, मैं नैनन ओट छिपाए लूंगो ....
मोरे सजनवा आएं तो .....
ये सच है मैं कहा ना मानी, कबहू मौज उन ना पहचानी I
कर कर बिनती गिर गिर चरनन, मैं उनको आप मनाये लूंगो ....
मोरे सजनवा आएं तो .....
ये भी सच मै करी न सेवा, कास उन भाऊँ, पाऊँ कास मेवा I
तन मन धन सब अरपन करके, मैं उन को आप फिझाये लूंगो ....
मोरे सजनवा आएं तो .....
हठ मैं करून कबहुँ ना उनसे, पाये पिया मैंने बड़े जतन से I
जो आज्ञा वो जैसी कहवें, मैं चरनन सीस नवाए लूंगो ....
मोरे सजनवा आएं तो .....
मैं तो सदा ही संग संग बहती, इत उत भरमत फिरती डोलती I
एक बार वो चरन पधारें, मैं चरनन सूरत लगाये लूंगो ....
मोरे सजनवा आएं तो .....
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