ज़िहाले मिस्की मकुन तग़ाफ़ुल, दुआरे नैना
बनाये बतियाँ I
किताबे हिज़्रा न दरम ऐन्जा, न लेहू काहे
लगाये छतियां I
मांस गया पिंजर रहा, ताकन लागे काग
I
साहब अजहुँ न आइया कोई मंद हमारो भाग
I
कागा सब तन खाइयो, खइयो चुन चुन मांस
I
दो नैना मत खाइयो, पिया मिलन की आस
I
कागा नैन निकल दूँ, पिया पास ले जाये
I
पहले दरस दिखाई के पीछे लीज्यो खाए
I
नैन कमंडल कर लिये, बैरागी दो नैन I
मांगे दरस मधुकरी, छके रहे दिन रैन
I
सुखिया सब संसार है, खावे और सोवे I
दुखिया दास कबीर है, जागे और रोवे I
साईं तुम्हरे दरस बिन, अंगना नहीं सुहाए
I
घर के सब बैरी लगे, घर खावन को आए I
साईं तुम्हरे दरस बिन, अगिन जले सब देह
I
नैनन जल बरसे नहीं, जलकर होवे
------- I
हिरदा थाली एक थी, जामे भरिया नीर
सोभी अब छलनी भया, लग लग ------- I
बिरहा अगिन भडकन लगी, अंग अंग अकुलाए
I
हिरदा तो खाली पड़ा क्यूंकर लेउँ बुझाए
I
जीवन मेरा हाथ तुम और न कोई उपाय I
जो चाहो मोहि राखना प्रेम बंद बरसाये
I
No comments:
Post a Comment