Tuesday, 4 November 2014

ज़िहाले मिस्की मकुन तग़ाफ़ुल, दुआरे नैना बनाये बतियाँ I
किताबे हिज़्रा न दरम ऐन्जा, न लेहू काहे लगाये छतियां I

मांस गया पिंजर रहा, ताकन लागे काग I
साहब अजहुँ न आइया कोई मंद हमारो भाग I

कागा सब तन खाइयो, खइयो चुन चुन मांस I
दो नैना मत खाइयो, पिया मिलन की आस I

कागा नैन निकल दूँ, पिया पास ले जाये I
पहले दरस दिखाई के पीछे लीज्यो खाए I

नैन कमंडल कर लिये, बैरागी दो नैन I
मांगे दरस मधुकरी, छके रहे दिन रैन I

सुखिया सब संसार है, खावे और सोवे I
दुखिया दास कबीर है, जागे और रोवे I

साईं तुम्हरे दरस बिन, अंगना नहीं सुहाए I
घर के सब बैरी लगे, घर खावन को आए I

साईं तुम्हरे दरस बिन, अगिन जले सब देह I
नैनन जल बरसे नहीं, जलकर होवे ------- I

हिरदा थाली एक थी, जामे भरिया नीर
सोभी अब छलनी भया, लग लग ------- I

बिरहा अगिन भडकन लगी, अंग अंग अकुलाए I
हिरदा तो खाली पड़ा क्यूंकर लेउँ बुझाए I

जीवन मेरा हाथ तुम और न कोई उपाय I
जो चाहो मोहि राखना प्रेम बंद बरसाये I



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