Sunday, 9 November 2014

छुड़ाए जाते हो अपना दामन

छुड़ाए जाते हो अपना दामन,
          बना के हम से ये क्या बहाना I
चले हो दिल को रुला रुला कर,
          कसम है तुमको न याद आना I

वो खिलखिलाना, वो चहचहाना,
         वो गुनगुनाना, वो मुस्कुराना,
वो प्यार के दिन, बहार के दिन,
          भुला सको गर तो भूल जाना I

 शिकायतें वो हंसी हंसी में,
        इनायतें वो चुभी चुभी सी,
वो रूठ जाना, मचल मचल के,
         मनाये कोई तो मान जाना I

ये कैसा आलम है बेबसी का,
          किसी पे बस अब नहीं किसी का,
भर आई आँखें, तड़प उठा दिल,
          हज़ार रोक, कोई न माना I

चले हो महफ़िल से आज उठकर,
         जो दिल से जाओ तो हम भी जानें,
तड़प के दे देंगे जान अपनी,
          न भूल कर हमको आज़माना I

कसम है तुमको न याद आना,
          तुम्हें कसम है न याद आना I 

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