ले आई कहाँ मुझको इक लग्ज़िशे-मस्ताना,
हम-राह चला आया मयखाने का मयखाना I
मयखाने से निकला मैं, बहके हुए क़दमों से,
पीछे मेरे काबा था, आगे मेरे बुतखाना I
वो कैफ था साकी तेरी सरशार निगाही का,
महशर में भी पहुंचा तो रहा होश से बेगाना I
अय शम्मा, तेरी लौ में जादू है की टोना है,
मर-मर के न जाने क्यूँ, जी उठता है परवाना I
दीवाना बनाते हो, दीवाने को समझाकर,
दीवाना न समझेगा, दीवाना है दीवाना I
रिन्दाना मिज़ाज़ अपना काम आ ही गया आखिर,
वो दिल में उतर आए पैमाना-ब-पैमाना I
'दरवेश' उन आँखों में इक जमे-फकीरी है,
पर, पीने-पिलाने का अंदाज़ है शहाना I
हम-राह चला आया मयखाने का मयखाना I
मयखाने से निकला मैं, बहके हुए क़दमों से,
पीछे मेरे काबा था, आगे मेरे बुतखाना I
वो कैफ था साकी तेरी सरशार निगाही का,
महशर में भी पहुंचा तो रहा होश से बेगाना I
अय शम्मा, तेरी लौ में जादू है की टोना है,
मर-मर के न जाने क्यूँ, जी उठता है परवाना I
दीवाना बनाते हो, दीवाने को समझाकर,
दीवाना न समझेगा, दीवाना है दीवाना I
रिन्दाना मिज़ाज़ अपना काम आ ही गया आखिर,
वो दिल में उतर आए पैमाना-ब-पैमाना I
'दरवेश' उन आँखों में इक जमे-फकीरी है,
पर, पीने-पिलाने का अंदाज़ है शहाना I
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