दफ अतन आप निगाहें जो उठा देते हैं,
देखनेवालों की तस्वीर बना देते हैं I
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कभी उल्फत की बाज़ी जीत कर भी हर होती है.
न ऐ शामस्त झूम तू इतना निशाते कामरानी में I
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खुद जाने मैं क्या कहता रहा दिलकी खादी में,
की वो तस्वीर बनकर खो गए मेरी कहानी में I
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सहारे मौजों का पाते हैं उभर जाते हैं.
पिरोये जाते हैं धागे में संवर जाते हैं I
मगर बताये इनको क्या कहूँ 'दरवेश'
गिरे जब आँख से दमन पे बिखर जाते हैं I
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तुम आये नींद से आँखें हुई मेरी बोझल
ज़रा रुको की मैं सो जाऊँ - तब चले जाना I
गमे फ़िराक मैं पाई थी जिंदगी मैंने
सकून वस्ल में खो जाऊं तब चले जाना I
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लौ पे उठा है दिल का मेरा चिराग
गोया किसीकी याद फिर आने लगी.
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हुस्न गुलशन निखार जाती है
अश्के शबनम संवर जाती है I
हाय 'दरवेश' चांदनी रातें
ज़ख़्म दिल के उभार जाती है I
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इश्क हर तौर से बदनाम हुआ, पर न हुआ
इश्क वालों का बहुत नाम हुआ, पर न हुआ I
भर के पैमाने चले, जामे शिकस्त की कसम
साक़िया लुत्फ़ो करम आम हुआ, पर न हुआ I
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गम से न हो गर आशना, ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं I
मर के भी गर जी न सके, आदमी आदमी नहीं I
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दफ अतन आप निगाहें जो उठा देते हैं
देखनेवालों की तस्वीर बना देते हैं
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इश्क हर तौर से बदनाम हुआ, पर न हुआ I
इश्क़वालों का बहुत नाम हुआ, पर न हुआ I
भर के पैमाने चले जामे शिकस्त की कसम I
साक़िया लुत्फ़ो करम आम हुआ, पर न हुआ I
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बेड़ियां मौत की काटी इन बुल हवसों की I
एड़ियां मौत की काटी तेरे दीवानों ने I
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बुझ गई शमा उनके अंचल से,
लाख तूफान जिसे बुझा न सके I
उनकी तस्वीर खींच कर दिल में,
खो गए आलमे तसवुर में I
उनकी तस्वीर हो गई घायल,
इसलिए वो करीब आ न सके I
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बैठे थे तेरे साये में, सब उठ के चल दिए I
'दरवेश' खस्ता जां, ज़रा समझो तो इशारा I
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कदम डगमगाते रहे हर कदम पर,
मोहब्बत की राहों में चलना न आया I
सहारों के मारे हुए थे हम ऐसे,
गिरे हम तो गिरकर सम्भलना न आया I
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छोड़ कर मंझधार में ,मल्लाह कह कर चल दिए I
डूबजाना है यहां, साहिल पे आना है मना I
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